अनुचित तरीकों से वीर्यनाश — और आज के युवाओं पर उसके घातक दुष्परिणाम

अनुचित तरीकों से वीर्य का नाश और उसके आज के युवाओं पर दुष्परिणाम

अनुचित तरीकों से वीर्यनाश करने वाले और असंयमी जीवन जीने वाले युवकों में ठंड-गर्मी, भूख-प्यास, परिश्रम और दुख-सुख जैसी परिस्थितियों को सहने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। यानी उनकी सहनशक्ति लगभग समाप्त हो जाती है। पैरों की पिंडलियाँ और जोड़ों में कमजोरी महसूस होने लगती है। बुद्धि, शरीर की ताकत और सभी इंद्रियों की क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है। यौन क्रिया भी सही ढंग से नहीं हो पाती, यानी क्षमता कम हो जाती है।

लिंग में पूर्ण तनाव नहीं आ पाता और धीरे-धीरे लिंग छोटा, टेढ़ा और कमजोर हो जाता है। इसके साथ ही स्वप्नदोष, वीर्य-प्रमेह, शीघ्रपतन और नपुंसकता जैसे रोग भी लगने लगते हैं। व्यवहार में दीनता, झिझक या दब्बूपन जैसा स्वभाव आ जाता है। ये सभी लक्षण शास्त्रों में बताए गए हैं, जो कमजोर, क्षीण या वीर्य-अपव्यय करने वाले पुरुषों में दिखाई देते हैं। इसके अलावा वीर्य नष्ट करने वाले और बीज को दूषित विकृत करने वाले जो भी अन्य लक्षण देखे जाते हैं, उन्हें यहाँ एक साथ बताया जा रहा है।

अल्पवीर्य वाले युवक अपने से बड़े उम्र वाले रिश्तेदारों या थोड़े-बहुत सामर्थ्यवान लोगों के सामने साहस से उठने-बैठने और बात करने से अक्सर बचते हैं। ऐसे युवक अक्सर शर्मिंदा या अपराधी जैसा महसूस करते हैं और नीची नज़र रखकर, मुँह छिपाते हुए, अपने से बड़े लोगों से बात करते हुए पाए जाते हैं।

वीर्य-सुरक्षा के उपाय और संयमशील युवकों के लक्षण

कुछ युवक ऐसे भी देखे जाते हैं, जो बाहर से सीना तानकर चलने, तेज बोलने और चपलता दिखाने का नाटक करते हैं, ताकि लोग उन्हें शुद्ध, पवित्र, निर्दोष, बलवान, वीर्यवान और तेजस्वी समझें। लेकिन उनका यह दिखावा अक्सर उद्दण्डता जैसा लगने लगता है।

 

ऐसे युवकों के चेहरे की प्राकृतिक, आनंदमय और स्वाभाविक चमक खत्म हो जाती है और चेहरा उदास, फीका तथा हल्का पीला-सा दिखने लगता है। उनका चेहरा निर्जीव और थका हुआ प्रतीत होता है। इसी कारण ऐसे युवक अक्सर अपने स्किनकेयर रूटीन को बार-बार बदलते रहते हैं—महँगे फेसवॉश, नाइट सीरम, ग्लो क्रीम, टोनर, फेस मास्क का प्रयोग करते हैं, और यहाँ तक कि सलून में फेशियल भी करवाते दिखाई देते हैं—ताकि किसी प्रकार चेहरे की खोई हुई चमक वापस आ सके।

 

अक्सर ऐसे युवकों की आँखें और गाल अंदर की ओर धँस जाते हैं, जिससे गालों की हड्डियाँ साफ दिखाई देने लगती हैं। सिर के बाल कम उम्र में ही झड़ने और सफ़ेद होने लगते हैं। बारह वर्ष की आयु के बाद ही बालों का सफ़ेद होना भी प्रायः वीर्य-कमी का ही परिणाम माना जाता है।

 

प्रातः शौच के बाद और अन्य असामान्य समयों में भी ऐसे युवकों को दिन में कई बार झूठी भूख महसूस होती है। यह कमजोरी के कारण होता है। लेकिन खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता। ऐसे युवकों को अक्सर कब्ज की समस्या बनी रहती है। कमज़ोर पाचन शक्ति और अपच दोनों लगातार बने रहते हैं।ऐसे युवकों को नींद अक्सर देर रात बीत जाने के बाद ही आती है, और कई बार बहुत कम आती है। लेकिन सुबह जगाने पर आलस्य के कारण उठकर बैठना भी उनके लिए कठिन महसूस होता है।

ऐसे युवकों का वीर्य पानी जैसा पतला हो जाता है। कभी-कभी मूत्र करते समय वीर्य की बूंद भी टपक जाती है। जब मूत्र की मात्रा अधिक बनती है, तब मूत्र का वेग रोकना भी मुश्किल हो जाता है।

इन युवकों के हाथ-पैर और शरीर की नसें अक्सर दर्द करती हैं। हाथ-पैरों में कमजोरी, जड़ता और सुन्नपन जैसा अनुभव बार-बार होता रहता है।

सर्दियों में हाथ-पैर और उंगलियाँ एकदम ठंडी रहती हैं, और गर्मियों में बहुत अधिक गर्म, जैसे जल रहे हों।

पैरों के तलवों और हाथों की हथेलियों में लगातार पसीना आना भी प्रायः उन्हीं युवकों में देखा जाता है जिनका वीर्य कमज़ोर या दूषित होता है।

हाथ-पैरों में कंपन और निर्जीवता-सी महसूस होना भी आम बात है।

Methods of Semen Preservation
Young man addicted to screens alone

आज के कई युवक सोशल मीडिया, रील्स, शॉर्ट वीडियो, पोर्न साइट्स और अश्लील सामग्री देखने में विशेष रुचि रखते हैं। वे प्रायः देर रात तक मोबाइल पर पोर्न वीडियो, बोल्ड क्लिप, निजी चैट्स और तस्वीरें देखते व स्क्रॉल करते रहते हैं।

लड़कियों से बात करने, चैट करने, फ़्लर्ट करने या उनके आसपास रहने में भी उनकी रुचि अधिक रहती है।

इसके साथ ही, वे लड़कियों को छुपकर देखने की प्रवृत्ति भी रखते हैं—जैसे इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल जाँचना, स्टोरीज़ देखना, डी.पी. को ज़ूम करके देखना—और इन सबमें उन्हें विशेष प्रकार का आनंद और उत्तेजना अनुभव होती है।

चेहरे पर मुहांसे अधिक निकलना भी उन्हीं युवकों में पाया जाता है जो अत्यधिक कामवासना में लिप्त रहते हैं या जिनका वीर्य कमजोर और क्षीण होता है।  उनकी हृदय-धड़कन सामान्य से अधिक बढ़ जाती है। थोड़ी सी सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने, तेज चलने या बात करने मात्र से ही साँस तेज चलने लगती है।

ऐसे युवक बड़ी-बड़ी उम्मीदों के साथ कोई काम तो शुरू कर देते हैं, लेकिन दृढ़ता की कमी के कारण उसे अंत तक नहीं निभा पाते और बीच में ही छोड़ देते हैं। अल्पवीर्य युवकों में दृढ़ निश्चय की कमी आमतौर पर देखी जाती है।

उनके मन में दूसरों के प्रति जल्दी ईर्ष्या और द्वेष पैदा हो जाता है, जिसके कारण वे किसी भी काम में सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।

इस प्रकार वे अपने जीवन में अनावश्यक रूप से शत्रु बढ़ाते रहते हैं और अपना मन खुद ही अशांत, दुखी और अपवित्र कर लेते हैं।ऐसे युवकों के पसीने में तेज दुर्गंध और चिपचिपापन होता है। उत्साह और उमंग की कमी बनी रहती है। धैर्य घट जाता है और अधीरता बढ़ने लगती है। ​

संयमशील जीवन अपनाने वाले युवकों के लिए कुछ स्मरणीय बातें

वीर्यनाश के दुष्परिणाम, वीर्य-सुरक्षा के उपाय और संयमशील युवकों के लक्षण


स्त्रियों का लगातार ध्यान करना, उनका वर्णन करना, कामवासना की दृष्टि से उन्हें देखना, उनके बारे में कल्पनाएँ करना, मन में संभोग की इच्छा या विचार लाना, इन विषयों में मन को लगाकर रखना, और प्रत्यक्ष रूप से मैथुन क्रिया में प्रवृत्त हो जाना — ये सभी आठ प्रकार की क्रियाएँ संभोग ही मानी जाती हैं।

संयमी जीवन बनाने के लिए जिन श्रेष्ठ मानवों ने जिन साधनों का पालन किया है, और जो अनुभव मुझे स्वयं अपने जीवन में प्राप्त हुए—उन सभी को यहाँ संकलित करके लिखा जा रहा है।
साथ ही मनुस्मृति के अनुसार जो मनुष्य गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी ब्रह्मचारी के समान आदरणीय माने जाते हैं, उनका उल्लेख करना भी यहाँ उचित माना गया है।

ऋतुकालाभिगामी स्यात्स्वदारनिरतः सदा। 

ब्रह्मचार्येव भवति यत्र तत्राश्रमे वसन्‌॥

जो पुरुष केवल अपनी पत्नी में ही संतोष पाता है और अन्य सभी स्त्रियों को “मातृवत् परदारेषु” के अनुसार माता के समान सम्मान की दृष्टि से देखता है, वह व्यक्ति गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी ब्रह्मचारी के समान आदरणीय माना जाता है।

कहा भी गया है — “जिसकी एक ही नारी, वही सच्चा ब्रह्मचारी।”

संयमशील जीवन अपनाने वाले युवकों के लिए कुछ स्मरणीय बातें

 

जिस प्रकार पेट्रोल या कोई भी तेल-घी जैसे पदार्थ आग के संपर्क में आते ही तुरंत अग्नि उत्पन्न करते हैं

ठीक उसी तरह, जब लड़का और लड़की बहुत ज़्यादा समय एक साथ बिताते हैं—क्लोज फ्रेंडशिप, लगातार चैटिंग, लम्बी कॉल्स, देर रात बात करना, अकेले मिलना—तो मन में यौन इच्छा का बढ़ जाना बिल्कुल स्वाभाविक है।

इसीलिए जो युवक-युवतियाँ संयमित जीवन जीना चाहते हैं, उन्हें स्त्री-पुरुष की अनावश्यक नज़दीकियों, लगातार साथ रहने, अकेले में समय बिताने या हर काम मिलकर करने जैसी स्थितियों से बचना चाहिए।
संयम रखने वालों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण नियम है कि बेवजह की निकटता मन को कमजोर बनाती है और नियंत्रण खोने लगता है।

जैसे आग को सही समय और सही उद्देश्य के लिए नियंत्रित किया जाए, तो उससे छोटे-बड़े सभी काम पूरे होते हैं;
लेकिन वही आग बिना आवश्यकता और गलत समय पर भड़क जाए, तो आसपास की मूल्यवान चीजें भी जलकर नष्ट हो जाती हैं।
यह उसका स्वाभाविक गुण है कि मौके के बिना जली आग लाभ नहीं देती, केवल विनाश करती है।

 

संयमशील जीवन अपनाने वाले युवकों के लिए कुछ स्मरणीय बातें
युवाओं का अधिक समय ब्रेकअप, असुरक्षा और प्रेम-संबंधों के तनाव में बीत रहा है।

ठीक इसी प्रकार, जब लड़का-लड़की अकेले हों या बहुत पास हों, तो मन में अवांछित यौन उत्तेजना स्वाभाविक रूप से पैदा होती है।
यह इच्छा न उम्र देखती है, न स्वभाव—यह बस अचानक बढ़ जाती है और उसे नियंत्रित करना कठिन हो जाता है।
इसीलिए मन की ऊर्जा और कामाग्नि को सही समय तक संयमित रखना आवश्यक है।
जब यह ऊर्जा सही दिशा में लगती है, तो जीवन में बड़े और महत्वपूर्ण लक्ष्य सहज ही पूरे हो जाते हैं।

आज भारत में भी यही समस्या तेजी से बढ़ रही है।
युवा अपनी ज़िंदगी का बहुत-सा समय केवल कामवासना, मोबाइल के आकर्षण और अनियंत्रित भावनाओं में खो देते हैं।
कम उम्र में ही इन इच्छाओं की शुरुआत होने से आगे चलकर उनका गृहस्थ जीवन भी ठीक से नहीं चल पाता।
परिणामस्वरूप—झगड़े बढ़ते हैं, रिश्ते टूटते हैं, तलाक की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं, और कई लोग अवैध संबंधों में फँसकर अपना जीवन और अधिक जटिल बना लेते हैं।

युवाओं का अधिक समय ब्रेकअप, असुरक्षा और प्रेम-संबंधों के तनाव में बीत रहा है।
डिप्रेशन, चिंता, मानसिक थकान और अकेलापन आम हो रहा है।
साथ ही, समाज और परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाने में भी वे कमजोर पड़ने लगते हैं।
अनेक युवा नशे के शिकार हो रहे हैं और कम उम्र में गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं।

 

यदि आप भी उन युवाओं में शामिल हैं जो इन समस्याओं से परेशान हैं, तो अपना अनमोल भविष्य अंधकार और दुख में मत बिताइए।

Punsatva के माध्यम से हम ऐसे युवाओं की सहायता कर रहे हैं, ताकि वे इन गंभीर परिस्थितियों से बाहर निकल सकें।

हम एक प्राकृतिक चिकित्सालय शुरू कर रहे हैं, जहाँ योग, ध्यान, प्राकृतिक भोजन, पंचकर्म, सूर्य-चिकित्सा, जल-चिकित्सा, आसन-प्राणायाम, सात्त्विक दिनचर्या, मानसिक शुद्धि, ब्रह्मचर्य-प्रशिक्षण, जीवनशैली सुधार, आयुर्वेदिक औषधियाँ, शरीर-शोधन प्रक्रियाएँ, नींद-संतुलन, भावनात्मक नियंत्रण, और मन–इंद्रियों की शुद्धि जैसे प्राकृतिक उपायों के माध्यम से युवाओं को इन समस्याओं से पूर्णतः मुक्त किया जाएगा।

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